Wednesday, July 15, 2020

महामारी | Pandemic

 हर 100 साल में होता है महामारी का हमला...!!

 कहा जाता है कि चार सौ सालों में हर सौ साल बाद एक ऐसी महामारी आती है, जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचाई। हर सौवें साल आने वाली इस महामारी ने दुनिया के किसी कोने को नहीं छोड़ा। करोड़ों इंसानों की जान लेने के साथ-साथ इसने कई इंसानी बस्तियों के तो नामो-निशान तक मिटा दिए।


An pandemic every 100 years
                 An pandemic every 100 years



दुनिया में हर 100 साल पर 'महामारी' का हमला हुआ है। सन् 1720 में दुनिया में द ग्रेट प्लेग आफ मार्सेल फैला था। जिसमें 1 लाख लोगों की मौत हो गई थी 100 साल बाद सन् 1820 में एशियाई देशों में हैजा फैला उसमें भी एक लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी इसी तरह सन् 1918-1920 में दुनिया ने झेला स्पेनिश फ्लू का क़हर इस बीमारी ने उस वक्त करीब 5 करोड़ लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। और अब फिर 100 साल बाद दुनिया पर आई कोरोना की तबाही जिसकी वजह से पूरी दुनिया में लॉक डाउन है। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है।

an pandemic every 100 years
                    Plague 1720 Pandemic

सन 1820 ग्रेट प्लेग ऑफ मार्सिले के पूरे 100 साल बाद एशियाई देशों में कॉलरा यानी हैजा ने महामारी का रूप लिया। इस महामारी ने जापान, अरब देशों, भारत, बैंकॉक, मनीला, जावा, चीन और मॉरिशस जैसे देशों को अपनी जकड़ में ले लिया। हैजा की वजह से सिर्फ जावा में 1 लाख लोगों की मौत हुई थी। जबकि सबसे ज्यादा मौतें थाईलैंड, इंडोनेशिया और फिलीपींस में हुई थी।

Cholera 1820 | pandemic
                 Cholera 1820 Pandemic

सन 1920 करीब 100 साल बाद धरती पर फिर तबाही आई। इस बार ये तबाही स्पैनिश फ्लू की शक्ल में आई थी। वैसे ये फ्लू फैला तो 1918 से ही था। लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर 1920 में देखने को मिला। कहा जाता है कि इस फ्लू की वजह से पूरी दुनिया में दो से 5 करोड़ के बीच लोग मारे गए थे।

pandemic
                  Spanish Flu 1920 Pandemic
               

सन 2020 अब फिर पूरे 100 साल बाद इंसानियत को खतरे में डालने कोरोना वायरस की शक्ल में एक और महामारी आई है। साल की शुरुआत में चीन से शुरु होकर अब ये महामारी पूरी दुनिया में फैल चुकी है। फिलहाल लाखों इसकी जद में हैं और हज़ारों मारे जा चुके हैं। इतिहास की बाकी बीमारियों की तरह वक्त रहते इसकी भी कोई वैक्सीन खोजी नहीं जा सकी है। और जब तक ये वैक्सीन तैयार होगी तब तक ना जाने कितनी देर हो चुकी होगी।

pandemic | covid-19
                             coronavirus

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब कोरोना वायरस को पैनडेमिक यानी महामारी घोषित कर दिया है।

अब से पहले डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस को महामारी नहीं कहा था।

महामारी उस बीमारी को कहा जाता है जो एक ही समय दुनिया के अलग-अलग देशों में लोगों में फैल रही हो।

डब्ल्यूएचओ के अध्यक्ष डॉ. टेडरोज़ आध्यनोम गेब्रेयेसोस ने कहा है कि वो अब कोरोना वायरस के लिए महामारी शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि वायरस को लेकर निष्क्रियता चिंताजनक है।

इससे पहले साल 2009 में स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया गया था। विशेषज्ञों के मुताबिक स्वाइन फ्लू की वजह से कई लाख लोग मारे गए थे।

महामारी होने की अधिक संभावना तब होती है जब वायरस बिलकुल नया हो, आसानी से लोगों में संक्रमित हो रहा हो और लोगों के बीच संपर्क से प्रभावी और निरंतरता से फैल रहा हो।

कोरोना वायरस इन सभी पैमानों को पूरा करता है।

अभी तक कोरोना वायरस का कोई इलाज या टीका नहीं है। वायरस के विस्तार को रोकना ही सबसे अहम है। जिसकी शुरुआत हमे आध्यात्मिक मार्ग की ओर बढ़ कर करना होगा।

 संत रामपाल जी महाराज के अनुयाई जो दावा कर रहे हैं वह पूर्णतया सत्य है। संत रामपाल जी ही कोरोना महामारी से बचा सकते हैं। पूर्ण सन्तों के कुछ नियम और मर्यादाएं होती हैं उसका पालन करने पर दया बक्शीश होती हैं। जब तक उन्हें पुकारा नहीं जाता प्रार्थना नहीं की जाती तब तक पूर्ण संत दया नहीं करते। जिस प्रकार द्रोपदी ने चीरहरण में अपना बचाव नहीं देखकर अन्त में अपने गुरु/परमात्मा को याद किया तब परमात्मा की दया‌ बख्शीश हुई, लाज बची। राज्याभिषेक के बाद जब पांडवों का यज्ञ सफल नहीं हुआ तब श्रीकृष्ण समेत पांचों पांडव नंगे पैर चलकर संत सुपच सुदर्शन से जाकर यज्ञ में चलने की प्रार्थना की तब उनके भोजन करने से यज्ञ संपन्न हुआ और संख बजा। इसी प्रकार पूर्ण संत से आधीनी से प्रार्थना विनती करने पर वह बड़ी से बड़ी आपदाओं को भी टाल देते है।

दूसरा प्रमाण संत रामपाल जी महाराज लाखों अनुयायियों के सभी तरह के दुख कष्ट और असाध्य रोगों को सत् भक्ति से काट रहे हैं। कैंसर एड्स जैसी घातक बीमारियां भी पूर्णतया ठीक हो गई है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आपजी YouTube पर Real Story Saint Rampal Ji search करके चेक कर सकते है।


Saint rampal ji can end corona pandemic
Saint rampal ji can end corona pandemic

विश्व पर आए हुए इस महामारी रूपी संकट से मानव जाति को बचाने के लिए संत रामपाल जी महाराज से प्रार्थना विनय किया जाए। हम आपको भरोसा दिलाते हैं इस महामारी से वह देश और दुनिया को बचा सकते हैं।

अवश्य सुनिए आध्यात्मिक तत्वज्ञान संदेश।

साधना चैनल - 7:30pm.


Tuesday, July 7, 2020

विज्ञान और ज्ञान में अंतर

 विज्ञान और ज्ञान में क्या अंतर है?
विज्ञान का सीधा-सा अर्थ है वस्तुओं की तमाम जानकारी प्राप्त करना । ज्ञान का अर्थ है मानवीय मूल्यों के अनुरूप चिंतन करना ओर चरित्र के लिए आस्थावान बनना है।

Importance of scientific knowledge
Knowledge and science

कहा जाता हैं कि मनुष्य जन्म से ही पशु प्रवृतियां परिपूर्ण होता है, लेकिन इन अवगुणों का नाश करके संस्कारी और आदर्शवादी बनने की चिंतन प्रक्रिया को ही ज्ञान कहा गया है।



विज्ञान का सीधा-सा अर्थ है-वस्तुओं की तमाम जानकारी हासिल करना। यदि ज्ञान को समझें तो ज्ञान का मतलब मानवीय मूल्यों के अनुरूप चिंतन करना और चरित्र के लिए आस्थावान बनना है। कहते हैं कि मनुष्य में जन्मजात पशु प्रवृत्तियां भरी होती हैं, लेकिन इन अवगुणों का नाश करके संस्कारी और आदर्शवादी बनाने की चिंतन प्रक्रिया को ज्ञान कहा गया है। अब अगर ज्ञान और विज्ञान की आपस में तुलना करें तो वह कुछ ऐसी होगी। हाइड्रोजन के दो कण जब ऑक्सीजन के संपर्क में आते हैं तो पानी बनता है-यह विज्ञान है, लेकिन इस पानी से जीव-जंतुओं की प्यास बुझती है-यह ज्ञान है।

What is science
What is science


ज्ञान और विज्ञान की तुलना

अब अगर ज्ञान और विज्ञान की आपस में तुलना करें तो वह कुछ ऐसी होगी – “हाइड्रोजन के दो कण जब ऑक्सीजन के संपर्क में आते हैं तो पानी बनता है-यह विज्ञान है, लेकिन इस पानी से जीव-जंतुओं की प्यास बुझती है-यह ज्ञान है।”

ज्ञान का सामान्य बोलचाल की भाषा में अर्थ है- जानकारी, पर हर तरह की जानकारी ज्ञान नहीं मानी जाती। ज्ञान और विज्ञान के दर्शन पर आजकल अनेक सिद्धांत चल पड़े हैं, जो केवल यह परिभाषित करने का प्रयास करते हैं कि किस प्रकार की जानकारी ज्ञान के अंतर्गत आती है और किस प्रकार की जानकारी ज्ञान के दायरे से बाहर है।

ज्ञान के कुछ धुरंधर दार्शनिकों के नाम हैं- प्लेटो, रिचर्ड रोरटी, बर्टरैंड रसेल इत्यादि।

उसी प्रकार विज्ञान क्या है और क्या नहीं, इसे परिभाषित करने के लिये अनेक महापुरुषों ने अपना जीवन लगा दिया जिनमें से कुछ हैं- कोपरनिकस, कॉमटे, एमैनुअल कान्ट, कार्ल पॉपर और टॉमस कुह्न।

विज्ञान – विज्ञान के जनक, परिभाषा – Science
ज्ञान के क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन को ही विज्ञान (Science) कहते हैं। वस्तुओं के इस अध्ययन को क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन किया जाता है और तथ्य इक्कठे किये जाते है इन तथ्यों के आधार पर ही वस्तु के गुण और प्रकृति का पता लगाया जाता है।

विज्ञान की परिभाषा..!!

प्रकृति में उपस्थित वस्तुओं के क्रमबद्ध अध्ययन से ज्ञान प्राप्त करने और उस ज्ञान के आधार पर वस्तु की प्रकृति और व्यवहार जैसे गुणों का पता लगाने को ही विज्ञान कहते है।

ज्ञान...!!
What is knowledge
What is knowledge

ज्ञान का अर्थ (meaning of knowledge)

'ज्ञान' शब्द  'ज्ञ' धातु से बना है जिसका अर्थ जानना, बोध,अनुभव, प्रकाश से माना गया है। आसान शब्दों में कहा जाए तो किसी वस्तु के स्वरूप का जैसा है वैसा ही बोध, अनुभव होना ज्ञान है।  इसे हम उदाहरण से समझ सकते हैं - यदि हमें दूर से पानी दिखाई दे रहा है निकट जाने पर भी पानी मिलता है तो कहा जाएगा कि हमें अमुक जगह पानी होने का 'वास्तविक ज्ञान' हुआ।

वैसे ही हम आद्यात्मिक ज्ञान की बात करे तो। ज्ञान के साथ आध्यात्मिक ज्ञान होना भी अति आवश्यक है कहा जाता है कि, मन को आत्मा के साथ जोड़ना ही आध्यात्मिक ज्ञान है
मन आत्मा से तभी जुड़ सकता है जब मनुष्य को पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान की जानकारी होगी। आद्यात्मिक ज्ञान की जानकारी तभी प्राप्त हो सकती है जब पूर्ण संत यानी (पूर्ण गुरु) की प्राप्ति होगी। क्योकि पूर्ण संत ही सही आद्यात्मिक मार्ग की जानकारी दे सकता है।


पूर्ण संत वही है जो संसार रूपी वृक्ष के ऊपर को मूल तथा नीचे को तीनों गुण(रजगुण-ब्रह्म जी, सतगुण-विष्णु जी तथा तमगुण शिवजी) रूपी शाखाओं तथा तना व मोटी डार की पूर्ण जानकारी प्रदान करता है
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी वह पूर्ण संत है सही आध्यात्मिक मार्ग की जानकारी दे रहे हैं
गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी संत की प्राप्ति के पश्चात् उस परमपद परमेश्वर(जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) की खोज करनी चाहिए। जहां जाने के पश्चात् साधक पुनर् लौटकर वापिस नहीं आता अर्थात् पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
 कबीर परमेश्वर जी वह पूर्ण परमेश्वर है जिनकी शास्त्र अनुकूल पूर्ण संत से नाम उपदेश लेकर साधना भक्ति करने से पूर्ण लाभ व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Satsang channel

अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखें साधना चैनल रात्रि 7:30 pm

Wednesday, July 1, 2020

भक्ति करना क्यों आवश्यक है

मनुष्य जीवन प्राप्त होने के उपरांत भक्ति करना अति आवश्यक है। क्योकि?

 हम सभी जीवो को नर शरीर मिला है जो नारायण अर्थात् परमात्मा के शरीर जैसा है अर्थात उसी का स्वरूप है अन्य प्राणियों को यह सुंदर शरीर नहीं मिला। इसके मिलने के पश्चात प्राणी को आजीवन भगवान की भक्ति करनी चाहिए। ऐसा परमात्मा स्वरूप शरीर प्राप्त करके सत्य भक्ति न करने के कारण फिर जीव को 84 लाख योनियों वाले चक्र में जाना पड़ता है।

Importance of bhakti
Importance of bhakti


 भक्ति करना क्यों ज़रूरी है?

 मोक्ष प्राप्त करने के लिए सच्ची भक्ति ज़रूरी है।

 भक्ति से आर्थिक मानसिक और शारीरिक सुख होता है। इसलिए भक्ति करना ज़रूरी है।

 सत भक्ति करने से अहंकार से दूर होकर मनुष्य नेक इंसान बन कर सुखी जीवन व्यतीत करता है।

 पूर्ण गुरु से नाम उपदेश लेकर मर्यादा में रहते हुए आजीवन सत भक्ति करने से ही सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष मिलता है।

 भक्ति करने से आने वाली आपदाएं दूर होती हैं।

 भक्ति करने से हमारे अंदर आत्म संतोष आता है ।

Importance of bhakti
Importance of true worship

 संत गरीबदास जी महाराज बताते हैं

यह दम टूटै पिण्डा फूटै, हो लेखा दरगाह मांही।
उस दरगाह में मार पड़ैगी, जम पकड़ेंगे बांही।।


नर-नारायण देहि पाय कर, फेर चैरासी जांही।
उस दिन की मोहे डरनी लागे, लज्जा रह के नांही।।

जा सतगुरू की मैं बलिहारी, जो जामण मरण मिटाहीं।
कुल परिवार तेरा कुटम्ब कबीला, मसलित एक ठहराहीं।
बाँध पींजरी आगै धर लिया, मरघट कूँ ले जाहीं।।


अग्नि लगा दिया जब लम्बा, फूंक दिया उस ठाहीं।
पुराण उठा फिर पण्डित आए, पीछे गरूड पढाहीं।।


 भावार्थ:- यह दम अर्थात् श्वांस जिस दिन समाप्त हो जाऐंगे। उसी दिन यह शरीर रूपी पिण्ड छूट जाएगा। फिर परमात्मा के दरबार में पाप-पुण्यों का हिसाब होगा। भक्ति न करने वाले या शास्त्राविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाऐंगे, चाहे कोई किसी देश का राजा भी क्यों न हो, उसकी पिटाई की जाएगी। सन्त गरीबदास को परमेश्वर कबीर जी मिले थे। उनकी आत्मा को ऊपर लेकर गए थे। सर्व ब्रह्माण्डों को दिखाकर सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान समझाकर वापिस शरीर में छोड़ा था। सन्त गरीब दास जी आँखों देखा हाल बयान कर रहे हैं कि:- हे मानव! आपको नर शरीर मिला है जो नारायण अर्थात् परमात्मा के शरीर जैसा अर्थात् उसी का स्वरूप है। अन्य प्राणियों को यह सुन्दर शरीर नहीं मिला। इसके मिलने के पश्चात् प्राणी को आजीवन भगवान की भक्ति करनी चाहिए। ऐसा परमात्मा स्वरूप शरीर प्राप्त करके सत्य भक्ति न करने के कारण फिर चैरासी लाख वाले चक्र में जा रहा है, धिक्कार है तेरे मानव जीवन को! मुझे तो उस दिन की चिन्ता बनी है, डर लगता है कि कहीं भक्ति कम बने और उस परमात्मा के दरबार में पता नहीं इज्जत रहेगी या नहीं। मैं तो भक्ति करते-करते भी डरता हूँ कि कहीं भक्ति कम न रह जाए। आप तो भक्ति ही नहीं करते। यदि करते हो तो शास्त्राविरूद्ध कर रहे हो। तुम्हारा तो बुरा हाल होगा और मैं तो राय देता हूँ कि ऐसा सतगुरू चुनो जो जन्म-मरण के दीर्घ रोग को मिटा दे, समाप्त कर दे। जो सत्य भक्ति नहीं करते, उनका क्या हाल होता है मृत्यु के पश्चात्। आस-पास के कुल के लोग इकट्ठे हो जाते हैं। फिर सबकी एक ही मसलत अर्थात् राय बनती है कि इसको उठाओ। (उठाकर शमशान घाट पर ले जाकर फूँक देते हैं, लाठी या जैली की खोद (ठोकर) मार-मारकर छाती तोड़ते हैं। सम्पूर्ण शरीर को जला देते हैं। जो कुछ भी जेब में होता है, उसको निकाल लेते हैं। फिर शास्त्राविधि त्यागकर मनमाना आचरण कराने और करने वाले उस संसार से चले गए जीव के कल्याण के लिए गुरू गरूड पुराण का पाठ करते हैं।

Importance of bhakti
                       power of bhakti


 तत्वज्ञान (सूक्ष्मवेद) में कहा है कि अपना मानव जीवन पूरा करके वह जीव चला गया। परमात्मा के दरबार में उसका हिसाब होगा। वह कर्मानुसार कहीं गधा-कुत्ता बनने की पंक्ति में खड़ा होगा। मृत्यु के पश्चात् गरूड पुराण का पाठ उसके क्या काम आएगा। यह व्यर्थ का शास्त्राविरूद्ध क्रियाक्रम है। उस प्राणी का मनुष्य शरीर रहते उसको भगवान के संविधान का ज्ञान करना चाहिए था। जिससे उसको अच्छे-बुरे का ज्ञान होता और वह अपना मानव जीवन सफल करता।



जै सतगुरू की संगत करते, सकल कर्म कटि जाईं।
अमर पुरि पर आसन होते, जहाँ धूप न छाँइ।।

 सन्त गरीब दास ने परमेश्वर कबीर जी से प्राप्त सूक्ष्मवेद में आगे कहा है कि यदि सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेते तो उपरोक्त सर्व कर्मों के कष्ट कट जाते अर्थात् न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते। अमरपुरी पर आसन होता अर्थात् गीता अध्याय 18 श्लोक 62 तथा अध्याय 15 श्लोक 4 में वर्णित सनातन परम धाम प्राप्त होता, परम शान्ति प्राप्त हो जाती। फिर कभी लौटकर संसार में नहीं आते अर्थात् जन्म-मरण का कष्टदायक चक्र सदा के लिए समाप्त हो जाता। उस अमर लोक (सत्यलोक) में धूप-छाया नहीं है अर्थात् जैसे धूप दुःखदाई हुई तो छाया की आवश्यकता पड़ी। उस सत्यलोक में केवल सुख है, दुःख नहीं है।

importance of bhakti
the real aim of true worshipaim


 वर्तमान में पूर्ण संत सतगुरु रामपाल जी महाराज एकमात्र पूर्ण संत है जो शास्त्र अनुकूल सही साधना भक्ति बताकर मानव समाज का कल्याण कर रहे हैं उनके द्वारा बताई गई भक्ति मर्यादा में रहकर करने से इस लोक में तथा परलोक में सुख एवं पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखिए साधना चैनल रात्रि 7:30 से 8:30pm तक

असली राम कौन है

राम कौन है...?? रामचन्द्र भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं, और इन्हें श्रीराम और श्रीरामचंद्र के नामों से भी जाना जाता है। रामायण में वर्णन ...