आइये जानते हैं नास्तिक होने का क्या कारण है....??
अगर “ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास” की दृष्टि से देखा जाये तो दुनिया में दो प्रकार के लोग होते है – एक आस्तिक, दूसरा नास्तिक । आस्तिक उसे कहते है जो ईश्वर के अस्तित्व को मानता है । इसके विपरीत नास्तिक उसे कहते है जो ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता ।
जिन लोगो को सही भक्ति मार्ग प्राप्त नही हुआ, गलत साधना करने से दुःख दूर नही हुए वे लोग भगवान से दूर होते चले गए। और नास्तिक बन गए। नास्तिक लोग ईश्वर (भगवान) के अस्तित्व का स्पष्ट प्रमाण न होने के कारण झूठ करार देते हैं। अधिकांश नास्तिक लोग किसी भी देवी देवता, परालौकिक शक्ति, धर्म और आत्मा को नहीं मानते। ओर न ही वेदों को मान्यता देते। नास्तिक मानने के स्थान पर जानने पर विश्वास करते हैं।
वहीं आस्तिक किसी न किसी ईश्वर की धारणा को अपने संप्रदाय, जाति, कुल या मत के अनुसार बिना किसी प्रमाणिकता के स्वीकार करता है। जबकि नास्तिक लोग इसे अंधविश्वास कहते है..!!
क्या ईश्वर का अस्तित्व है ?
सभी धर्मों के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जानते हैं कि ईश्वर का अस्तित्व है या नहीं...!!
आइये जानते है हमारे सद्ग्रन्थ क्या कहते है?
गीता में प्रमाण - गीता अध्याय 8 श्लोक 9 में पूर्ण परमात्मा का नाम कविम् बताया है।
कुरान में प्रमाण - कुरान शरीफ सूरत फुर्कानि 25 आयत 52, 58, 59 में परमात्मा काम कबीर/ खबीरा/ कबीरन है।
गुरूग्रंथसाहिब में प्रमाण - गुरूग्रंथसाहिब साहिब राग तिलंग महला 1 पृष्ठ 721 - हक्का कबीर करीम तू बैएब परवरदिगार,
राग सिरी महला 1 पृष्ठ 24 - धाणक रूप रहा करतार
बाइबिल में प्रमाण - अय्यूब 36: 5 (और्थोडौक्स यहूदी बाइबल - OJB) (परमेश्वर कबीर शक्तिशाली है)
वेद में प्रमाण- वेदों में में कई जगह परमेश्वर कबीर साहेब के प्रमाण है। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मन्त्र 17, 18, 19, 20
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 90 मन्त्र 3, 4, 5, 15, 16
यजुर्वेद अध्याय 19 मन्त्र 26, 30
यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25
सामवेद संख्या 359 अध्याय 4 खण्ड 25 श्लोक 8
सामवेद संख्या 1400 अध्याय 12 खण्ड 3 श्लोक 5
अथर्वेद कांड 4 अनुवाक 1 मन्त्र 1 से 7
जिन सन्तो को परमात्मा मिले -
गरीब दास जी : -
अनंत कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रति नहीं भार।
सतगुरू पुरूष कबीर हैं, ये कुल के सृजनहार।।
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद न पाया, काशी माही कबीर हुआ।।
सतगुरु पुरुष कबीर है चारों युग प्रमाण
झूठे गुरुवा मर गए हो गए भूत मसाण।।
नानक देव जी : -
खालक आदम सिरजिआ,आलम बड़ा कबीर।
क़ाइम दाइम कुदरती, सिर पीरा दे पीर।।
संत रविदास जी : -
साहेब कबीर शमर्थ हैं, आदि अंत सर्वकाल।
ज्ञान गम्या से दे दिया, कहे रैदास दयाल।।
संत नाभा दास जी : -
वाणी अरबों खरबों ,ग्रंथ कोटी हजार।
करता पुरुष कबीर है, रहे नाभे विचार।।
संत गोरख नाथ जी : -
नौ नाथ चौरासी सिद्धा, इनका अंधा ज्ञान।
अविचल ज्ञान कबीर का, यो गति बिरला जान।।
दादू जी : -
जिन मोकू निज नाम दिया, सोई सतगुरू हमार।।
दादू दूसरा कोई नहीं, वो कबीर सृजनहार।।
और संत सब कूप है केते झरिता नीर।
दादू अगम अपार है दरिया सत्य कबीर।।
स्वामी रामानंद जी : -
तुम स्वामी मैं बालक बुद्धि, धर्म-कर्म किए नाश।
कहे रामानंद विज ब्रह्म तुम, हमरा दृढ़ विश्वास।।
बोलत रामानंद जी, सुनो कबीर करतार।
गरीबदास सब रूप में, तुम ही बोलनहार।।
संत धर्मदास जी : -
बाजा बाजा रहित का, परा नगर में जोर।
सतगुरु खसम कबीर हैं, नजर न आवे और।।
सही भगवान की जानकारी और सत्य साधना नहीं मिलने के कारण लोग नासिक होते चले गए...! शास्त्र अनुकूल सही साधन नहीं मिलने के कारण लोगों की मानसिकता हो गई की भगवान है ही नहीं...!! सर्व ब्रह्मांड पशु, पक्षी, जीव जंतु अपने आप ही बनता और बिगड़ता है जीव अपने आप ही उत्पन्न होता है और नष्ट हो जाता है भगवान है ही नहीं..!!
लोगों को लगता है कि सब कुछ भ्रमणा है इसी नकारात्मक मानसिकता के आधार पर लोग अपना अनमोल मनुष्य जीवन बर्बाद कर देते हैं
परंतु अब यह समझना होगा कि जिस प्रक्रिया द्वारा हम भगवान को खोज रहे थे वह प्रक्रिया ही गलत थी यह नहीं कि भगवान है ही नहीं..!
जबकि परमात्मा है उसकी शास्त्र अनुकूल साधना भक्ति करने से पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है अन्य मनमानी साधना करने से नहीं। सही गुरु व सत मार्ग का अभाव जीव के दुखों का कारण बनता है पूर्णगुरु की जानकारी प्राप्त करने के लिए देखिए साधना चैनल रात्रि 7:30 से 8:30 pm
और अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें
अगर “ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास” की दृष्टि से देखा जाये तो दुनिया में दो प्रकार के लोग होते है – एक आस्तिक, दूसरा नास्तिक । आस्तिक उसे कहते है जो ईश्वर के अस्तित्व को मानता है । इसके विपरीत नास्तिक उसे कहते है जो ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता ।
जिन लोगो को सही भक्ति मार्ग प्राप्त नही हुआ, गलत साधना करने से दुःख दूर नही हुए वे लोग भगवान से दूर होते चले गए। और नास्तिक बन गए। नास्तिक लोग ईश्वर (भगवान) के अस्तित्व का स्पष्ट प्रमाण न होने के कारण झूठ करार देते हैं। अधिकांश नास्तिक लोग किसी भी देवी देवता, परालौकिक शक्ति, धर्म और आत्मा को नहीं मानते। ओर न ही वेदों को मान्यता देते। नास्तिक मानने के स्थान पर जानने पर विश्वास करते हैं।
वहीं आस्तिक किसी न किसी ईश्वर की धारणा को अपने संप्रदाय, जाति, कुल या मत के अनुसार बिना किसी प्रमाणिकता के स्वीकार करता है। जबकि नास्तिक लोग इसे अंधविश्वास कहते है..!!
क्या ईश्वर का अस्तित्व है ?
सभी धर्मों के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जानते हैं कि ईश्वर का अस्तित्व है या नहीं...!!
आइये जानते है हमारे सद्ग्रन्थ क्या कहते है?
गीता में प्रमाण - गीता अध्याय 8 श्लोक 9 में पूर्ण परमात्मा का नाम कविम् बताया है।
कुरान में प्रमाण - कुरान शरीफ सूरत फुर्कानि 25 आयत 52, 58, 59 में परमात्मा काम कबीर/ खबीरा/ कबीरन है।
गुरूग्रंथसाहिब में प्रमाण - गुरूग्रंथसाहिब साहिब राग तिलंग महला 1 पृष्ठ 721 - हक्का कबीर करीम तू बैएब परवरदिगार,
राग सिरी महला 1 पृष्ठ 24 - धाणक रूप रहा करतार
बाइबिल में प्रमाण - अय्यूब 36: 5 (और्थोडौक्स यहूदी बाइबल - OJB) (परमेश्वर कबीर शक्तिशाली है)
वेद में प्रमाण- वेदों में में कई जगह परमेश्वर कबीर साहेब के प्रमाण है। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मन्त्र 17, 18, 19, 20
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 90 मन्त्र 3, 4, 5, 15, 16
यजुर्वेद अध्याय 19 मन्त्र 26, 30
यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25
सामवेद संख्या 359 अध्याय 4 खण्ड 25 श्लोक 8
सामवेद संख्या 1400 अध्याय 12 खण्ड 3 श्लोक 5
अथर्वेद कांड 4 अनुवाक 1 मन्त्र 1 से 7
जिन सन्तो को परमात्मा मिले -
गरीब दास जी : -
अनंत कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रति नहीं भार।
सतगुरू पुरूष कबीर हैं, ये कुल के सृजनहार।।
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद न पाया, काशी माही कबीर हुआ।।
सतगुरु पुरुष कबीर है चारों युग प्रमाण
झूठे गुरुवा मर गए हो गए भूत मसाण।।
नानक देव जी : -
खालक आदम सिरजिआ,आलम बड़ा कबीर।
क़ाइम दाइम कुदरती, सिर पीरा दे पीर।।
संत रविदास जी : -
साहेब कबीर शमर्थ हैं, आदि अंत सर्वकाल।
ज्ञान गम्या से दे दिया, कहे रैदास दयाल।।
संत नाभा दास जी : -
वाणी अरबों खरबों ,ग्रंथ कोटी हजार।
करता पुरुष कबीर है, रहे नाभे विचार।।
संत गोरख नाथ जी : -
नौ नाथ चौरासी सिद्धा, इनका अंधा ज्ञान।
अविचल ज्ञान कबीर का, यो गति बिरला जान।।
दादू जी : -
जिन मोकू निज नाम दिया, सोई सतगुरू हमार।।
दादू दूसरा कोई नहीं, वो कबीर सृजनहार।।
और संत सब कूप है केते झरिता नीर।
दादू अगम अपार है दरिया सत्य कबीर।।
स्वामी रामानंद जी : -
तुम स्वामी मैं बालक बुद्धि, धर्म-कर्म किए नाश।
कहे रामानंद विज ब्रह्म तुम, हमरा दृढ़ विश्वास।।
बोलत रामानंद जी, सुनो कबीर करतार।
गरीबदास सब रूप में, तुम ही बोलनहार।।
संत धर्मदास जी : -
बाजा बाजा रहित का, परा नगर में जोर।
सतगुरु खसम कबीर हैं, नजर न आवे और।।
सही भगवान की जानकारी और सत्य साधना नहीं मिलने के कारण लोग नासिक होते चले गए...! शास्त्र अनुकूल सही साधन नहीं मिलने के कारण लोगों की मानसिकता हो गई की भगवान है ही नहीं...!! सर्व ब्रह्मांड पशु, पक्षी, जीव जंतु अपने आप ही बनता और बिगड़ता है जीव अपने आप ही उत्पन्न होता है और नष्ट हो जाता है भगवान है ही नहीं..!!
लोगों को लगता है कि सब कुछ भ्रमणा है इसी नकारात्मक मानसिकता के आधार पर लोग अपना अनमोल मनुष्य जीवन बर्बाद कर देते हैं
परंतु अब यह समझना होगा कि जिस प्रक्रिया द्वारा हम भगवान को खोज रहे थे वह प्रक्रिया ही गलत थी यह नहीं कि भगवान है ही नहीं..!
जबकि परमात्मा है उसकी शास्त्र अनुकूल साधना भक्ति करने से पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है अन्य मनमानी साधना करने से नहीं। सही गुरु व सत मार्ग का अभाव जीव के दुखों का कारण बनता है पूर्णगुरु की जानकारी प्राप्त करने के लिए देखिए साधना चैनल रात्रि 7:30 से 8:30 pm
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