Lord krishna
आज हम बात कर रहे हैं जन्माष्टमी के बारे में ।
कृष्णजन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जनमोत्सव के रूप में मनाया जाता है जन्माष्टमी भारत ही नहीं अपितु विदेशों में बसे भारतीय भी बड़े उत्साह व उल्लास के साथ मनाते हैं भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को श्रीकृष्ण जी ने जन्म लिया। इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है इससे स्पष्ट है कि श्री कृष्णा जी ने मां के गर्भ से जन्म लिया। अवतरित नही हुए जबकि कहां जाता है कि भगवान कभी भी मां के गर्भ से जन्म नहीं लेते हैं सीधे पृथ्वी पर अवतरित होते हैं जबकि श्री कृष्ण जी ने मां के गर्भ से जन्म दिया फिर वह पूर्ण परमेश्वर कैसे हो सकते हैं।
वहीं दूसरी तरफ हम बात करें कबीर साहेब की उन्होंने मां के गर्भ से जन्म नहीं लिया बल्कि अपने निजी स्थान सतलोक से चलकर आए और अपनी पुण्यात्मा को मिले, अनेको लीलाएं की।
वही हिंदू धर्म के लोग श्री कृष्ण जी को वासुदेव नाम से भी पुकारते हैं या संबोधित करते हैं जबकि असली वासुदेव कोई और हैं जोकि सर्व कष्ट निवारक है
“वासुदेव की परिभाषा”
गीता अध्याय 3 श्लोक 14.15 में कहा है कि सम्पूर्ण प्राणी अन्न से उत्पन्न
होते है।
ब्रह्म अर्थात् क्षर पुरूष की उत्पत्ति अविनाशी परमात्मा से
हुई है जिसके विषय में गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है। इससे सिद्ध है कि
“सर्वगतम् ब्रह्म” = सर्वव्यापी परम अक्षर ब्रह्म अर्थात् वासुदेव सदा ही यज्ञों में
प्रतिष्ठित है।
विचार करें :- सर्वगतम् ब्रह्म का अर्थ है सर्वव्यापी परम अक्षर परमात्मा।
(गीता अध्याय 3 श्लोक 15)
1. श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी तीनों देवता एक ब्रह्माण्ड
में बने तीनों लोकों (स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक, पाताल लोक) में केवल एक-एक
विभाग अर्थात् गुण के प्रधान हैं। ये सर्वगतम् ब्रह्म अर्थात् सर्वव्यापी परमात्मा =
वासुदेव नहीं हैं।
2. ब्रह्म अर्थात् क्षर पुरूष :- यह केवल 21 ब्रह्माण्डों का प्रभु है। यह भी
सर्वव्यापी अर्थात् वासुदेव नहीं है।
3. अक्षर पुरूष :- यह केवल 7 शंख ब्रह्माण्डों का प्रभु है, यह भी सर्वव्यापी
अर्थात् वासुदेव नहीं है।
4. परम अक्षर ब्रह्म :- यह सर्व ब्रह्माण्डों का स्वामी है, सर्व का धारण-पोषण
करने वाला है, यह वासुदेव है।
परम अक्षर ब्रह्म ( कबीर परमेश्वर) स्वयं पृथ्वी
पर प्रकट होकर अच्छी आत्माओं को मिलते हैं। उनको तत्वज्ञान बताते हैं।
Janmastami
हम लोग श्री कृष्ण जी को भगवान मान बैठे हैं क्योकि श्री कृष्ण जी ने मोरध्वज राजा के पुत्र ताम्रध्वज को आरे से दो भाग करवा कर जो की मृत्यु को प्राप्त हो चुका था उसको जीवित कर दिया उसके उपरांत हमने श्री कृष्ण जी को भगवान मान बैठे। परन्तु हमारे शास्त्र प्रमाणित करते हैं कि श्री कृष्ण जी द्वारा किसी व्यक्ति की आयु शेष बची हो उसको ही जीवित कर सकते हैं आयु घटा या बड़ा नहीं सकते। जबकि पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी द्वारा जिनकी आयु शेष नहीं भी बची हो उसको भी जीवन दान प्रदान कर सकते हैं साथ ही उस आयु बढ़ा या घटा सकते हैं
ऐसे ही श्री कृष्ण जी ने एक मुट्ठी चावल के बदले सुदामा का महल बनवाया था वही अगर बात करे परमेश्वर कबीर साहिब जी की तो उन्होंने एक रोटी के बदले तैमूर लंग को सात पीढ़ी का राज दिया।
यह धारणा की द्रोपती की साड़ी श्री कृष्ण जी ने बढ़ाई थी यह आधा अधूरा सत्य है सत्य तो यह हैं की उस समय श्री कृष्ण जी रुक्मणी के साथ चोसर खेल रहे थे परमेश्वर कबीर जी ने द्रौपदी की भक्ति की लाज रखी और द्रोपती की साड़ी चीर बढ़ाया जिसकी जानकारी आज तक किसी भी हिन्दू धर्म के धर्मगुरु को नहीं थी सब को यही लगता था कि श्री कृष्ण जी ने द्रौपती का चीर बढ़ाया।
गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 तक तो गीता ज्ञान दाता ने तीनों गुणों (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिव जी) की भक्ति करने वाले
1. राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए, 2. मनुष्यों में नीच, 3. दूषित कर्म करने वाले,
4. मूर्ख मेरी भक्ति भी नहीं करते।
फिर गीता ज्ञान दाता ने गीता अध्याय 7 श्लोक 16 से 18 तक अपनी साधना
करने वालों की स्थिति बताई है कि मेरी भक्ति चार प्रकार के (1. आर्त, 2. अथार्थी, 3. जिज्ञासु, 4. ज्ञानी) करते हैं। इनमें केवल ज्ञानी साधक श्रेष्ठ बताया, परंतु वह
भी तत्वज्ञान न होने के कारण मेरे वाली अर्थात् ब्रह्म की अनुतम् अर्थात् घटिया गति में ही स्थित रह गया।
Krishna janmastami
श्रीमद भगवद गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 में गीता ज्ञान दाता अर्जुन से कह रहा है कि सर्वश्रेष्ठ शक्तिशाली परमेश्वर तो कोई और है उसकी शरण ग्रहण करो।
जिस सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर के बारे में गीता ज्ञान दाता कह रहा है वह परमेश्वर कोई और नही कबीर परमेश्वर जी हैं जो सर्व शक्तिशाली प्रभु है जिनकी भक्ति करने से इस लोक तथा परलोक में सुख व पूर्ण मोक्ष प्राप्त हो सकती हैं अधिक जानकारी के लिए देखिए साधना चैनल रात्रि 7:30 pm से 8:30 pm तक
आज हम बात कर रहे हैं जन्माष्टमी के बारे में ।
कृष्णजन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जनमोत्सव के रूप में मनाया जाता है जन्माष्टमी भारत ही नहीं अपितु विदेशों में बसे भारतीय भी बड़े उत्साह व उल्लास के साथ मनाते हैं भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को श्रीकृष्ण जी ने जन्म लिया। इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है इससे स्पष्ट है कि श्री कृष्णा जी ने मां के गर्भ से जन्म लिया। अवतरित नही हुए जबकि कहां जाता है कि भगवान कभी भी मां के गर्भ से जन्म नहीं लेते हैं सीधे पृथ्वी पर अवतरित होते हैं जबकि श्री कृष्ण जी ने मां के गर्भ से जन्म दिया फिर वह पूर्ण परमेश्वर कैसे हो सकते हैं।
Lord krishna |
वहीं दूसरी तरफ हम बात करें कबीर साहेब की उन्होंने मां के गर्भ से जन्म नहीं लिया बल्कि अपने निजी स्थान सतलोक से चलकर आए और अपनी पुण्यात्मा को मिले, अनेको लीलाएं की।
वही हिंदू धर्म के लोग श्री कृष्ण जी को वासुदेव नाम से भी पुकारते हैं या संबोधित करते हैं जबकि असली वासुदेव कोई और हैं जोकि सर्व कष्ट निवारक है
“वासुदेव की परिभाषा”
गीता अध्याय 3 श्लोक 14.15 में कहा है कि सम्पूर्ण प्राणी अन्न से उत्पन्न
होते है।
ब्रह्म अर्थात् क्षर पुरूष की उत्पत्ति अविनाशी परमात्मा से
हुई है जिसके विषय में गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है। इससे सिद्ध है कि
“सर्वगतम् ब्रह्म” = सर्वव्यापी परम अक्षर ब्रह्म अर्थात् वासुदेव सदा ही यज्ञों में
प्रतिष्ठित है।
विचार करें :- सर्वगतम् ब्रह्म का अर्थ है सर्वव्यापी परम अक्षर परमात्मा।
(गीता अध्याय 3 श्लोक 15)
1. श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी तीनों देवता एक ब्रह्माण्ड
में बने तीनों लोकों (स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक, पाताल लोक) में केवल एक-एक
विभाग अर्थात् गुण के प्रधान हैं। ये सर्वगतम् ब्रह्म अर्थात् सर्वव्यापी परमात्मा =
वासुदेव नहीं हैं।
2. ब्रह्म अर्थात् क्षर पुरूष :- यह केवल 21 ब्रह्माण्डों का प्रभु है। यह भी
सर्वव्यापी अर्थात् वासुदेव नहीं है।
3. अक्षर पुरूष :- यह केवल 7 शंख ब्रह्माण्डों का प्रभु है, यह भी सर्वव्यापी
अर्थात् वासुदेव नहीं है।
4. परम अक्षर ब्रह्म :- यह सर्व ब्रह्माण्डों का स्वामी है, सर्व का धारण-पोषण
करने वाला है, यह वासुदेव है।
परम अक्षर ब्रह्म ( कबीर परमेश्वर) स्वयं पृथ्वी
पर प्रकट होकर अच्छी आत्माओं को मिलते हैं। उनको तत्वज्ञान बताते हैं।
हम लोग श्री कृष्ण जी को भगवान मान बैठे हैं क्योकि श्री कृष्ण जी ने मोरध्वज राजा के पुत्र ताम्रध्वज को आरे से दो भाग करवा कर जो की मृत्यु को प्राप्त हो चुका था उसको जीवित कर दिया उसके उपरांत हमने श्री कृष्ण जी को भगवान मान बैठे। परन्तु हमारे शास्त्र प्रमाणित करते हैं कि श्री कृष्ण जी द्वारा किसी व्यक्ति की आयु शेष बची हो उसको ही जीवित कर सकते हैं आयु घटा या बड़ा नहीं सकते। जबकि पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी द्वारा जिनकी आयु शेष नहीं भी बची हो उसको भी जीवन दान प्रदान कर सकते हैं साथ ही उस आयु बढ़ा या घटा सकते हैं
ऐसे ही श्री कृष्ण जी ने एक मुट्ठी चावल के बदले सुदामा का महल बनवाया था वही अगर बात करे परमेश्वर कबीर साहिब जी की तो उन्होंने एक रोटी के बदले तैमूर लंग को सात पीढ़ी का राज दिया।
Janmastami |
यह धारणा की द्रोपती की साड़ी श्री कृष्ण जी ने बढ़ाई थी यह आधा अधूरा सत्य है सत्य तो यह हैं की उस समय श्री कृष्ण जी रुक्मणी के साथ चोसर खेल रहे थे परमेश्वर कबीर जी ने द्रौपदी की भक्ति की लाज रखी और द्रोपती की साड़ी चीर बढ़ाया जिसकी जानकारी आज तक किसी भी हिन्दू धर्म के धर्मगुरु को नहीं थी सब को यही लगता था कि श्री कृष्ण जी ने द्रौपती का चीर बढ़ाया।
गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 तक तो गीता ज्ञान दाता ने तीनों गुणों (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिव जी) की भक्ति करने वाले
1. राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए, 2. मनुष्यों में नीच, 3. दूषित कर्म करने वाले,
4. मूर्ख मेरी भक्ति भी नहीं करते।
फिर गीता ज्ञान दाता ने गीता अध्याय 7 श्लोक 16 से 18 तक अपनी साधना
करने वालों की स्थिति बताई है कि मेरी भक्ति चार प्रकार के (1. आर्त, 2. अथार्थी, 3. जिज्ञासु, 4. ज्ञानी) करते हैं। इनमें केवल ज्ञानी साधक श्रेष्ठ बताया, परंतु वह
भी तत्वज्ञान न होने के कारण मेरे वाली अर्थात् ब्रह्म की अनुतम् अर्थात् घटिया गति में ही स्थित रह गया।
Krishna janmastami
श्रीमद भगवद गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 में गीता ज्ञान दाता अर्जुन से कह रहा है कि सर्वश्रेष्ठ शक्तिशाली परमेश्वर तो कोई और है उसकी शरण ग्रहण करो।
जिस सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर के बारे में गीता ज्ञान दाता कह रहा है वह परमेश्वर कोई और नही कबीर परमेश्वर जी हैं जो सर्व शक्तिशाली प्रभु है जिनकी भक्ति करने से इस लोक तथा परलोक में सुख व पूर्ण मोक्ष प्राप्त हो सकती हैं अधिक जानकारी के लिए देखिए साधना चैनल रात्रि 7:30 pm से 8:30 pm तक
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