Holy Scripture

Thursday, May 7, 2020

मांस खाना अल्लाह का आदेश नहीं है

अल्लाह के जीवो को मार कर खाने से अल्लाह कभी खुश नहीं होता।

हमारे देश में कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते है। जिसमे सभी की अपनी अलग अलग मान्यता है उन्ही में से एक धर्म मुस्लिम धर्म है जिसकी अपनी अलग मान्यता है ।

उनका मानना है कि बकरे को हलाल करके उनका मांस खाने से जन्नत की प्राप्ति होती है, जबकि उनका ऐसा मानना सरासर गलत है क्योंकि मांस खाना राक्षसों का काम है इंसानों का नहीं।


मांस खाने का आदेश अल्लाह का नहीं है नहीं कुरान शरीफ में इसके खाने का जिक्र अल्लाह ने स्वयं किया है ना ही अन्य किसी धार्मिक गर्न्थो में मांस खाने को कहा गया है मांस खाने को कहे वह परमात्मा का ज्ञान हो ही नहीं सकता। ऐसा तो केवल कोई शैतान ही करवाता है
मुसलमानों की सबसे पवित्र पुस्तक कुरान है जिससे पूरा मुस्लिम समाज मानता है महत्वपूर्ण बात यह है कि अल्लाह ने इस में मांस खाने का कहीं कोई आदेश नहीं दिया। जिब्राइल फरिश्ते का आदेश था जिसने मुस्लिम भाई अल्लाह का फरमान मान बैठे और पाप के गर्त में डूब गए।
परमेश्वर कबीर जी कहते है कि जो हत्या करते हैं, मांस खाते हैं वह अपराधी आत्मा मृत्यु के पश्चात् नरक में जाएंगे, साथ ही माता पिता भी नरक में जाएंगे।


मारी गऊ शब्द  के तीरं ऐसे होते मुहम्मद पीरं

मुहम्मद जी ने वचन से गाय मारी और वचन से ही जीवित कर दी थी। मुहम्मद जी जैसी भक्ति कोई मुसलमान नहीं कर सकता। मुहम्मद जी ने जब वचन की सिद्धि से मरी गाय जीवित की तो लोगों ने इसे पर्व का रूप दे दिया। गरीबदास जी महाराज जी अपनी वाणी में हज़रत मुहम्मद जी के बारे में बताते हैं

दूधु दही घृत अंब्रित देती। निरमल जा की काइआ।
गोबरि जा के धरती सूची। सा तै आणी गाइआ।।

मुसलमान गाय भखी, हिन्दु खाया सूअर ।
गरीबदास दोनों दीन से, राम रहिमा दूर।।



रोजा बंग नमाज दई रे , बिस्मिल की नहीं बात कही रे

मोहम्मद जी का केवल इतना ही आदेश था।उन्होंने गाय कभी बिस्मिल नहीं की।
हज़रत मुहम्मद जी ने कभी मांस नहीं खाया, न खाने का आदेश दिया। इन क़ाज़ी, मुल्लाओं ने, फरिश्तों ने डरा धमकाकर कर किसी के शरीर में प्रवेश करके ये सब गलत अफवाएं फैलाई। हज़रत मुहम्मद जी ने तो अपनी सिद्धि से एक मरी हुई गाय जीवित की थी ना कि मांस खाया।


पूरे दिन भूखे प्यासे रहकर पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और शाम को पेट भरने और जीभ के स्वाद के लिए निर्दोष जानवरों को हलाल करके उन्हें पका कर खाते हो सुबह अल्लाह से माफी शाम को पाप करते हैं ।

कबीर, तिलभर मछली खायके, कोटि गऊ दे दान। काशी करौंत ले मरे, तो भी नरक निदान।।

कबीर, गला काटि कलमा भरे, कीया कहै हलाल। साहब लेखा मांगसी, तब होसी कौन हवाल।।

नासमझ इंसान अल्लाह को खुश करना चाहता है मुल्ला काजियों की बातों में आकर
निर्दोष जीवो की हत्या करके उनका पाप अपने ऊपर लेकर मुस्लिम भाई अल्लाह से वंचित होता जा रहा हैं



त्योहार, व्रत आदि के नाम पर बेजुबान जीवो की हत्या करके उनका मांस खाना कहां तक सही है रहम कीजिए उन बेजुबानो पर जो बोल नहीं सकते वह भी हम सब की तरह खुदा के बनाए हुए जीव है फर्क सिर्फ केवल इतना है वह जानवर है और हम इंसान हैं बदला कहीं न जात है तीन लोक के माही। हमें इस बात को समझना होगा।

परमात्मा के विधान अनुसार आज आप जिसे काट रहे हैं मौका पड़ने पर वह भी आपके साथ ऐसा ही करेगा!



मांस सेवन नहीं करके ,अल्लाह की सही इबादत करें
कुरान शरीफ सूरत फुरकान 25 आयत 52-59 में कहा है जिसने 6 दिन में सृष्टि रची फिर सातवें दिन तख्त पर जा विराज वह अल्लाह बड़ा रहमान हैं वह अल्लाह कबीर है उसकी खबर किसी बाखबर यानि तत्वदर्शी संत से पूछो
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही अल्लाह के पूर्ण जानकार है  जिन की शरण में जाकर आप अल्लाह की इबादत की सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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